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आसमाँ को...निहारती खामोश पलके.... एक टक बहुत दूर त

आसमाँ को...निहारती
खामोश पलके....
एक टक
बहुत दूर तक....जब
जाती है
एकाएक
कानो में गूँजती...आवाज़ से
कुछ...
करती है...भौंहे हलचल
दिल की तलहटी में....
की...
सैंकड़ो....
अपक्षय
कुरेद दूँ
प्रमाण...
साक्ष्य....
कुछ अवशेष....
शायद....रूप में
भीति चित्रों के....
किसी नयन से...स्नेह मिलन के
मिल....जाए !!

©Raj choudhary "कुलरिया" #एक_टक 
Pushpvritiya  Amita Tiwari  deepti Harlal Mahato
आसमाँ को...निहारती
खामोश पलके....
एक टक
बहुत दूर तक....जब
जाती है
एकाएक
कानो में गूँजती...आवाज़ से
कुछ...
करती है...भौंहे हलचल
दिल की तलहटी में....
की...
सैंकड़ो....
अपक्षय
कुरेद दूँ
प्रमाण...
साक्ष्य....
कुछ अवशेष....
शायद....रूप में
भीति चित्रों के....
किसी नयन से...स्नेह मिलन के
मिल....जाए !!

©Raj choudhary "कुलरिया" #एक_टक 
Pushpvritiya  Amita Tiwari  deepti Harlal Mahato