मुलाकातें भी होती थीं, रोज़ बातें भी होती थी, मगर दिल की बातें दिल में ही रहती थीं, प्यार तो था उनसे बहुत मगर, जुबां तो बोलती थीं, मगर दिल के राज़ ही नहीं खोलती थीं। बोलना था, उनसे मुझको कुछ और लेकिन, मगर इज़हार ए मुहब्बत थीं, कि हलक ही नहीं खोलती थीं। शरद मिश्रा..✍️🕊️ #इजहार#इश्क़#शायरी##कविता#ख़्याल#Music#