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तुम अपने आप में परिपूर्ण हो, शारीरिक कष्टों से परे

तुम अपने आप में परिपूर्ण हो,
शारीरिक कष्टों से परे स्वयं को,
महसूस करो , किसी और के ,
नकारात्मक विचारों से स्वयं को ,
वशीभूत कर , अपने ओरा को ,
मलिन न करो।
जैसा तुम स्वयं के लिए विचारोंगे,
वैसा ही महसूस करोगे।
नकारात्मक विचारों से,
नकारात्मक ऊर्जा को,
अपने आसपास आभास करोगे ।
सकारात्मक विचारों से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है,
जो अपने व्यक्तित्व को निखार कर ,
जीवन में सरलता तथा सकारात्मकता का संचार करती है।
अपने आप के अंतः में स्थापित ईश्वर को,
ध्यान में रख अपने ओरा को सकारात्मक ,
ऊर्जा से प्रज्वलित रखे और जीवन का आनंद लेते रहे। 
कविता जयेश पनोत सकारात्मक विचार
तुम अपने आप में परिपूर्ण हो,
शारीरिक कष्टों से परे स्वयं को,
महसूस करो , किसी और के ,
नकारात्मक विचारों से स्वयं को ,
वशीभूत कर , अपने ओरा को ,
मलिन न करो।
जैसा तुम स्वयं के लिए विचारोंगे,
वैसा ही महसूस करोगे।
नकारात्मक विचारों से,
नकारात्मक ऊर्जा को,
अपने आसपास आभास करोगे ।
सकारात्मक विचारों से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है,
जो अपने व्यक्तित्व को निखार कर ,
जीवन में सरलता तथा सकारात्मकता का संचार करती है।
अपने आप के अंतः में स्थापित ईश्वर को,
ध्यान में रख अपने ओरा को सकारात्मक ,
ऊर्जा से प्रज्वलित रखे और जीवन का आनंद लेते रहे। 
कविता जयेश पनोत सकारात्मक विचार

सकारात्मक विचार