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हाथरस मेरी खिड़की पर किस ने दस्तक दी खोली तो कोई

हाथरस 

मेरी खिड़की पर किस ने दस्तक दी 
खोली तो कोई था 
पर था ओस की तरह 
आधा जला और आधा पस से भरा 
वो चेहरा था.... पर था ओस की तरह 

वो आवाज़ थी जिसने मुझे स्पर्श किया 
देखा एक बेटी थी और उस की सिसकियाँ 
मर चुकी थी पर फिर भी जिंदा थी 
एक एहसास था .... पर था ओस की तरह 

अज़ाब में थी और अटक गई थी (पीड़ा)
रूह उसकी , जो मुझसे मिलनें आयी थी 
सफर का आग़ाज था या आक़िबत (अन्त)
कशमकश में थी वो बेटी 
आँखो में बेबसी थी और सिसकियाँ 
एक डर था न जीने का .... पर था ओस की तरह 

मैं चुप था और उसकी तरह मजबूर भी 
किस तरह से एक बालिका 
जो जीवन से भरपूर थी 
सपनें थे उसके और जिन्दगी भी 
आज सिर्फ एक कहानी बनकर रह गयी है 

अब खिड़की पर सिर्फ मैं था
वो जा चुकी थी कुछ सवाल छोड़ कर 
और दिल्ली की तरह 'हाथरस' में भी 
रूदाली गा रहे होगे कुछ लोग 
और बेटी तुम फिर से भुला दी जाओगी 
'निर्भया' की तरह 
और सिर्फ एक कहानी बनकर रह जाओगी ।।

©Anurag Kumar #हाथरस 

#brokenwindow
हाथरस 

मेरी खिड़की पर किस ने दस्तक दी 
खोली तो कोई था 
पर था ओस की तरह 
आधा जला और आधा पस से भरा 
वो चेहरा था.... पर था ओस की तरह 

वो आवाज़ थी जिसने मुझे स्पर्श किया 
देखा एक बेटी थी और उस की सिसकियाँ 
मर चुकी थी पर फिर भी जिंदा थी 
एक एहसास था .... पर था ओस की तरह 

अज़ाब में थी और अटक गई थी (पीड़ा)
रूह उसकी , जो मुझसे मिलनें आयी थी 
सफर का आग़ाज था या आक़िबत (अन्त)
कशमकश में थी वो बेटी 
आँखो में बेबसी थी और सिसकियाँ 
एक डर था न जीने का .... पर था ओस की तरह 

मैं चुप था और उसकी तरह मजबूर भी 
किस तरह से एक बालिका 
जो जीवन से भरपूर थी 
सपनें थे उसके और जिन्दगी भी 
आज सिर्फ एक कहानी बनकर रह गयी है 

अब खिड़की पर सिर्फ मैं था
वो जा चुकी थी कुछ सवाल छोड़ कर 
और दिल्ली की तरह 'हाथरस' में भी 
रूदाली गा रहे होगे कुछ लोग 
और बेटी तुम फिर से भुला दी जाओगी 
'निर्भया' की तरह 
और सिर्फ एक कहानी बनकर रह जाओगी ।।

©Anurag Kumar #हाथरस 

#brokenwindow