White ठहरी सी ज़िन्दगी ग़म के भराव में, हम मरते रहे जीने के दबाव में..! ख़्यालों में मिले जो कभी न, उसे ढूँढते फिरे ख़्वाब में..! डूबे उदासी के समंदर में यूँ, सुख की नदियों के अभाव में..! चाहा चाँद न मिली रात, शालीनता के स्वभाव में..! काटते रहे साख़ रिश्तों की, सब अपने अपने बचाव में..! गिरे कई फिर संभले न, भावनाओं के बहाव में..! स्वस्थ है जीवन जानी केवल, मन के असली ठहराव में..! गुम है ख़ुशियाँ हरदम यहाँ, बस तकलीफों के तनाव में..! ©SHIVA KANT(Shayar) #sad_quotes #thahrisizindagi