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मेरी कविताएँ शायरी महज लफ्ज़ अल्फ़ाज़ों की तुकबंदी थो

मेरी कविताएँ शायरी महज लफ्ज़ अल्फ़ाज़ों की तुकबंदी थोड़े ही हैं, 
यह तो तलब ए सुकूँ है जिगर का कभी,कई बार तो सवाल पूछती RTI होती है,

कभी यह मेरा इक़बाल ए जुर्म होता है,तो कभी जुर्म के लिए इल्तजा ए रिहाई होती है
कभी सच से पर्दा गिराने का जरिया बन जाती है,तो कभी दुश्मन पर चढ़ाई होती है,

कभी खुद की कमियां बयाँ कर लेते, कभी इस बेरहम दुनिया की गवाही होती है,
कभी भूलो का ज़िक्र कर लेता हूँ, कभी जिक्र उन बातों का जो आजमाई होती है,

कभी खुशी होती है खुदा को पाने की,और कभी लफ़्ज़ों में बेवफाई होती है,
कभी दिल का शोर शराबा होता है इनमे, कभी मैं और मेरी तन्हाई होती है

कभी फिक्र खुद का होता है इनमे,और कभी जहान को बचाने की दुहाई होती है,
जो भी हो हम खामोश लोगों का सहारा है ही कलम, लिख देते अल्फ़ाज़ जिनमे गहराई होती है

 #yqbhaijan #yqdidi #मेरीक़लमसे #rti  RIGHT TO INFORMATION
मेरी कविताएँ शायरी महज लफ्ज़ अल्फ़ाज़ों की तुकबंदी थोड़े ही हैं, 
यह तो तलब ए सुकूँ है जिगर का कभी,कई बार तो सवाल पूछती RTI होती है,

कभी यह मेरा इक़बाल ए जुर्म होता है,तो कभी जुर्म के लिए इल्तजा ए रिहाई होती है
कभी सच से पर्दा गिराने का जरिया बन जाती है,तो कभी दुश्मन पर चढ़ाई होती है,

कभी खुद की कमियां बयाँ कर लेते, कभी इस बेरहम दुनिया की गवाही होती है,
कभी भूलो का ज़िक्र कर लेता हूँ, कभी जिक्र उन बातों का जो आजमाई होती है,

कभी खुशी होती है खुदा को पाने की,और कभी लफ़्ज़ों में बेवफाई होती है,
कभी दिल का शोर शराबा होता है इनमे, कभी मैं और मेरी तन्हाई होती है

कभी फिक्र खुद का होता है इनमे,और कभी जहान को बचाने की दुहाई होती है,
जो भी हो हम खामोश लोगों का सहारा है ही कलम, लिख देते अल्फ़ाज़ जिनमे गहराई होती है

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