घने कोहरे में क्या चांद देखते हो मयकशी में क्या मय देखते हो जिस्म की छांव में दो पल गुजार कर देखो तो तुम चांद भी तुम ,मयकशी भी तुम सब कुछ तुम ये मय क्या, मयकशी क्या चांद क्या ,चांदनी क्या ©Gyan Prakash Yadav #HumptyKavya