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मुकम्मल होता है शिखर हर एक हुनर को , तुम क्यूं


मुकम्मल होता है शिखर हर एक हुनर को ,  
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...।
आसमां सबके हिस्से में एक ही है,
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ..।
हक़ीक़ी होगी ज़रूर उन मंज़िलो से भी ,
जिन्हे सफ़र ने जिंदा रखा है  ...।
ना जाने कितने मन्नत के धागों ने बांधी हैं सांसे अब तक ,
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...।।
जिसके पास जो होगा वहीं परोसेगा ना सामने , 
फिर चाहे खंजर हो या जन्नत कोई ...।
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...।।
जो सुनना चाहेगा ,खनक खामोशियों की  भी चुभेगी उसे ....।
इन बेमाने लफ़्ज़ों  ख़ातिर ,
तुम क्यूं फ़िक्र मंद हो ...।।
बेरंग भले हो आसमां, कोई तो इंद्रधनुषीय रंग होगा ...
बेजां जमीं पे भी यक़ीनन कोई सुकून का समंदर भी होगा ...।
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...।।
ये ऋतु भी बदलेगी , नूतन सृजन भी होगा ..
ज़र्रे ज़र्रे में फ़िर कहीं मुस्कुराता जीवन भी होगा....!
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...!!- Anjali Rai
                          (शेरनी....❤️)


 तुम क्यूं फ़िक्र मंद हो ...✍️

मुकम्मल होता है शिखर हर एक हुनर को ,  
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...।
आसमां सबके हिस्से में एक ही है,
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ..।
हक़ीक़ी होगी ज़रूर उन मंज़िलो से भी ,
जिन्हे सफ़र ने जिंदा रखा है  ...।

मुकम्मल होता है शिखर हर एक हुनर को ,  
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...।
आसमां सबके हिस्से में एक ही है,
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ..।
हक़ीक़ी होगी ज़रूर उन मंज़िलो से भी ,
जिन्हे सफ़र ने जिंदा रखा है  ...।
ना जाने कितने मन्नत के धागों ने बांधी हैं सांसे अब तक ,
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...।।
जिसके पास जो होगा वहीं परोसेगा ना सामने , 
फिर चाहे खंजर हो या जन्नत कोई ...।
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...।।
जो सुनना चाहेगा ,खनक खामोशियों की  भी चुभेगी उसे ....।
इन बेमाने लफ़्ज़ों  ख़ातिर ,
तुम क्यूं फ़िक्र मंद हो ...।।
बेरंग भले हो आसमां, कोई तो इंद्रधनुषीय रंग होगा ...
बेजां जमीं पे भी यक़ीनन कोई सुकून का समंदर भी होगा ...।
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...।।
ये ऋतु भी बदलेगी , नूतन सृजन भी होगा ..
ज़र्रे ज़र्रे में फ़िर कहीं मुस्कुराता जीवन भी होगा....!
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...!!- Anjali Rai
                          (शेरनी....❤️)


 तुम क्यूं फ़िक्र मंद हो ...✍️

मुकम्मल होता है शिखर हर एक हुनर को ,  
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ...।
आसमां सबके हिस्से में एक ही है,
तुम क्यूं फ़िक्रमंद हो ..।
हक़ीक़ी होगी ज़रूर उन मंज़िलो से भी ,
जिन्हे सफ़र ने जिंदा रखा है  ...।