मैं लेखक नहीं मैं डरती हूँ कटाक्ष करने से भय है मुझे अराजक तत्त्वों का मैंने आज तक जितनी भी पीड़ाओ को लिखा है उन्हें कभी अनुभव नहीं किया मज़दूर,मज़लूम क्या कभी इनके क़रीब गई हूँ दुःखों को झाँकने शोषितों के दर्द को देखा ही नहीं दर्द क्या होता है कभी जाना ही नहीं व्यंग्य करते समय बँधी हुई होती हूँ एक अदृश्य डोरी से जो मेरी लेखनी को अपने कहे अनुसार खींचती रहती है मैं प्रेरक कथन लिखती हूँ कुछ ज्ञान की बातें बाँटती हूँ मगर आज तक मैंने कितनी दफ़ा उन बातों पर अमल किया है। मैं स्वार्थी हूँ बहुत अधिक मात्रा में वाहवाही के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। हाँ मैं लेखक नहीं #अनाम #अनाम_ख़्याल #लेखक #व्यंग्य #innervoice #anumika