हैं अंधेरे का खौफ किसे, हमने कर ली पूरी तैयारी हैं, रौशन है हर पथ मेरा, जुगनू मेरा साथी हैं। सीखा हैं हमने उससे रहना ख़ुद पे मनहसर, उसने अपनी राहें खुद रौशन कर डाली हैं। हैं जमीं पे ही अर्श जैसा मंजर, इन्होंने तो तारो की बारात सजा ली हैं। बैठ जाते हैं पौधो की जब शाखाओं पे , यूं लगता हैं जैसे किसी ने दिवाली की लड़ियां लगा दी हैं। ये वो चराग हैं, जिससे तूफानों ने भी हार मानी हैं। मनहसर - (निर्भर) ©Zainab siddiqui #fireflies #thought #Zainab #LightsInHand