कब फसीलों से वास्ता हुआ पता ना चला दो हज़ार बीस कब हवा हुआ पता ना चला कि चल रही थी ज़िन्दगी रफ़्तार से अपनी कब हकीमों का दबदबा हुआ पता ना चला मिलना-जुलना ज़रूरी रहा नहीं अब किसी से किस कदर ये फासला हुआ पता ना चला ना खुशबू ना ज़ायका था कुछ साँसे तेज़ थी था मर्ज़,वहम या नजला हुआ पता ना चला इक्कीस में लिखेंगे नयी इबारतें ये उम्मीद है बीस तो कब आया और गया पता ना चला ©Kaushal Almora #bye2020 #kaushalalmora #Life #Love #2021welcome #2021