यूँ तो लोगों ने मुझे "मतलबी" खिताब से नवाज रखा है ए ग़ालिब, मगर इतना खुदगर्ज़ आज भी नहीं की तेरे हिस्से के नूर से खुद को रोशन कर लूँ।। #7