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जग की माता हे जगत जननी मांँ अब तो दया कर दो अब

जग की माता

 हे जगत जननी मांँ
 अब तो दया कर दो
 अब तो क्षमा कर दो
 युद्ध की विभीषिका से
 त्रस्त हो रही है मानवता
 इंसानियत हो रही कलंकित है
 नर पिचाशों ने तांडव मचा रखा है 
 आतंकवाद का नंगा नाच मचा रखा है
 अब तो मानवता के लिए रामराज की कल्पना लिख दो

©DR. LAVKESH GANDHI
  #navratri #
# शांति का बीज बो दो #

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