जब से देखा है तुम्हे के मेरा दिल होश खो रहा है तेरी मुस्कराहटों पर जानें क्यों मदहोश हो रहा है, बात तेरे चेहरे की हो या तेरी घनी जुल्फों की ये न जानें क्यों होश खो रहा है, कैसे कहूं की में,के मेरा दिल अब बदतमीज हो रहा है कह भी नही सकते, छिपा भी नही सकते ऐसा एहसास हो रहा है, के मेरा दिल न जानें क्यों बदतमीज हो रहा है तेरे आंखों से मेरी निगाह जब मिलती है मेरे दिल की धड़कन जानें क्यों बढ़ जाती है तू सामने जब भी आती है, मेरे रग रग में बिजली सी दौड़ जाती है, अब कोई आकर समझा भी दे मेरे दिल को,के ये न क्यों बदतमीज हो रहा है ©पथिक बदतमीज दिल