चाहे असमंजस हो कितना चाहे उलझन से पूर रहो
सारे प्रश्नों पर यह जवाब "गर तुम चाहो तो दूर रहो"
वेदना विदित ना हो पाए ऐसे शब्दों का चयन हुआ
हमसे अमूल्य कुछ शब्द हुए शब्दों का कितना मोल हुआ
हमने कुछ ज्यादा सोच लिया हमने कुछ ज्यादा स्वर गाए
हम बहुत समझते थे खुद को अब खुद का मूल्य जान पाए
अब ठहरी एक विसंगति की अधरों से मौन जरूर रहो
सारे प्रश्नों पर यह जवाब "गर तुम चाहो तो दूर रहो"