अब और न बंटना ..... (पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) अब और नहीं बंटना.... हमें बांटने की हर बात पर गौर करना, समझना और कुचलना ज़रूरी है बहुत बिखेरे गये हैं पहले, अब मजबूती से संभलना ज़रुरी है कोई भाषा में बांटेगा, कोई जाति या क्षेत्रवाद का असर बताएगा कोई धर्म के भेद बताकर, यही है सारा अगड़ा पिछड़ा समझाएगा यह मत समझना जब आग लगेगी घर में तो कोई नेता आएगा, लड़ेगा तुम्हारे लिए कभी तुम्हारी सम्पत्ति या घर बार परिवार बचाएगा