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लगे जब ठंड रातों में,तो उसकी याद आती है। पड़े वैसे

लगे जब ठंड रातों में,तो उसकी याद आती है।

पड़े वैसे हैं बिस्तर पर, मुझे कितना सताती है।

बड़ी जालिम  हुई वह तो, जरा ढूँढे  उसे कोई-

कहाँ  मेरी  रजाई है, नहीं  मुझको  सुलाती है।

 #मुक्तक #रजाई #विश्वासी
लगे जब ठंड रातों में,तो उसकी याद आती है।

पड़े वैसे हैं बिस्तर पर, मुझे कितना सताती है।

बड़ी जालिम  हुई वह तो, जरा ढूँढे  उसे कोई-

कहाँ  मेरी  रजाई है, नहीं  मुझको  सुलाती है।

 #मुक्तक #रजाई #विश्वासी