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सुनो! अपने करीबी ही तोड़ेंगे, कुछ बेरुखी से मनोब

सुनो!  अपने  करीबी ही तोड़ेंगे,
कुछ बेरुखी से मनोबल तुम्हारा,
सच है अपनों की ऐसी अनदेखी,
भला होगी किस दिल को गंवारा?
सुनो!  तुम्हें  जोड़ना  ही   होगा,
अपना टूटता मन, हर बार स्वयं ही,
सत्य बस यही है, तुम स्वयं हो,
स्वयं का इक मजबूत सहारा।

©Meena Singh Meen
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