ये अल्फाज नहीं मेरे दर्द की दवा हैं चीखते चिल्लाते गुहार-ए-मोहब्बत के गवाह हैं खून की छींटो से हमने लिखी दास्तान-ए-दर्द खून की छींटे ही स्याह हैं तेरी बेवफाई की आग से टकरा कर मुझे खाक कर गयीं ये उसी आग में लिपटी हुई हवा है बेदम शायर आयुष कुमार गौतम की कलम से ये अल्फाज नहीं मेरे दर्द की दवा हैं