क़ातिल उनका लहज़ा उनकी नज़ाकत उनकी अदा क़ातिल है! उनकी वो जुल्फ़ें, वो आँखें, वो लब,या रबा क़ातिल है! अफ़वाह फैलाना अब बंद भी हो उसके नाम का यारों! अरे झूठी है ये बात कि मेरी जान-ए-जाँ क़ातिल है! नाओनोश फ़ितरत बनी कि बदहवास रहे हम सदा! हाँ ये मेरा साक़ी ये मय और ये मयकदा क़ातिल है ! बहार है खफ़ा, शाद नाशाद है, दुश्मन बनी ये फ़िज़ा! कि ये शाम ये शब ये सहर ये आब-ओ-हवा क़ातिल है! ख़ुदको भी मैंने उसके ख़िलाफ जाने नहीं दिया कभी! मेरे इश्क़ को मारा है कि मेरी अहद-ए-वफ़ा क़ातिल है! उनका लहज़ा उनकी नज़ाकत उनकी अदा क़ातिल है! उनकी वो जुल्फ़ें, वो आँखें, वो लब,या रबा क़ातिल है! अफ़वाह फैलाना अब बंद भी हो उसके नाम का यारों! अरे झूठी है ये बात कि मेरी जान-ए-जाँ क़ातिल है! नाओनोश फ़ितरत बनी कि बदहवास रहे हम सदा! हाँ ये मेरा साक़ी ये मय और ये मयकदा क़ातिल है !