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मुझे वल्लाह तराशो तुम और तिनके से कलम करदो, कलम बस

मुझे वल्लाह तराशो तुम और
तिनके से कलम करदो,
कलम बस नाम हो 
तासीर से शमशीर हो जाऊं।
अपनी शाख से गिर के 
कभी पत्ते हरे देखे?
जो सबको एक कर रखे
मैं वो जंज़ीर हो जाऊं।
करूं हासिल मैं ताजो-तख्त ग़र
इतना सा यत्न करलूं,
कि पढने और लिखने में
ज़रा गंभीर हो जाऊं।

©Pooja Virla
  #कलम की शहज़ादी
sudhirgarg6890

Pooja Virla

New Creator

#कलम की शहज़ादी #कविता

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