White पल्लव की डायरी उतर गये कितनी गहरी खाई में दोहन प्रकृति का कर डाला है अविष्कारों के नाम पर भौतिकता बढ़ गयी जीवन को संकट में डाला है ऋतुएँ ने अपनी पहचान छोड़ दी मौसम मर्यादा छोड़ रहे है केलोफोनिया आग की लपटों में सिमट गया तबाही का मंजर दिख रहा है दुनिया पर पर्यावरण का टेरिफ लगाने वाला आका खुद की गलत नीतियों से आज झुलस रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes खुद की गलत नीतियों से आज झुलस रहा है