'प्रेम' का क्या है... हो ही जाता है बात तो 'प्रेम की पराकाष्ठा' की है कौन,कहाँ तक कितना पहुँचता है कितना टूटता और कितना जुड़ता है कितना बदलता और कितना बदल पाता है कितना स्वयं का अस्तित्व बनाये रख पाता है कितना प्रेमपात्र का अस्तित्व कायम रखता है कितना 'प्रेम'को 'प्रेम' रूप में संजो पाता है कितना 'प्रेम' के उन्माद में 'प्रेम' को 'दूषित' होने से बचा पाता है...! Muनेश...Meरी✍️🌹🌹 #bestyqhindiquotes #yqwriters #yqinterviews #yqdidi #yqhindi #yqlove_feelings_emotions