हँसी होता है सफ़र जिंदगी का! घुटन तो हमारे अंदर है ख्वाहिशें जो पाली हैं इतनी! पूरी न हो अग़र तो दम घुटता है!! चलते रहेंगे तो पहुँच जाएँगे मंज़िल-ए-हकीकत पे अपनी! तो मुस्कुरा के चलिए ग़म का बोझ उठाए! क्यों चलना है!! ©Deepak Bisht #नेहा-ए-सफ़र-जिंदगी