ग़ज़ल मिलना जुलना शोर शराबा सबकुछ है क्या बस उसको हाय बुलाना सबकुछ है हमको तो हर हिस्सा अच्छा लगता है पिक्चर में तो नहरें बगिया सबकुछ है बाकी तो सब यूँही कुछ भी कहते हैं तेरा चुप रहना ही माना सबकुछ है तुझसे हाथ मिलाकर किसने क्या पाया क्या तुझको छूना ही केवल सबकुछ है पल पल उसमे खोना खुदको सिखा है पाने को तो पल भर लम्हा सबकुछ है एक शराबी प्याला छूकर क्या करता मदहोशी को तेरी खुश्बू सबकुछ है बहर 222-222-222-22