सिर्फ उन अनमोल पलों को ही नहीं हर शब्द से जुड़ी उन भावनाओं को भी क्यूंकि ये भावनाएं ही तो है जो कभी उस डायरी का हिस्सा बनती हैं, जिसे हम दूसरों से छिपा के रखते हैं तो कभी उस किताब का ,जिसे हम लोगों के लिए बचा के रखते हैं माँ ने ममता को पिता ने अच्छाई को चिड़िया ने आसमान को पेड़ ने धरती को सब ने कुछ न कुछ बचा लिया है हमारा फ़र्ज़ बनता है हम भी बचा लें कुछ और न सही तो शब्दों को ही।