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भुला कर भी ना भूल पा रहे थे तेरे फसाने को, तीलियां

भुला कर भी ना भूल पा रहे थे तेरे फसाने को,
तीलियां जला ली सब कुछ जलाने को,
आकर हाथ थाम लिया उनने कहने लगे,क्यों खुशियां  मनाते हो जलाकर अपने आशियाने को,
आ गए हैं हम फिर ना लौट कर जाने को,
लौट कर चलते हैं गमों की बस्ती में,भूल जाओ जालिम जमाने को,,
फिर बही कागज होगा,कलम भी बही होगी,
समंदर की स्याही भी कम पड़ जाएगी जब हम लग जाएंगे कागज पे बहाने को,
लिख डालेंगे मोहब्बत की इतनी आग,बहुत होगी नफरतों की बस्तियां जलाने को,,,

राजेश,,, अब तीलियां जला ली नफ़रत जलाने को,
भुला कर भी ना भूल पा रहे थे तेरे फसाने को,
तीलियां जला ली सब कुछ जलाने को,
आकर हाथ थाम लिया उनने कहने लगे,क्यों खुशियां  मनाते हो जलाकर अपने आशियाने को,
आ गए हैं हम फिर ना लौट कर जाने को,
लौट कर चलते हैं गमों की बस्ती में,भूल जाओ जालिम जमाने को,,
फिर बही कागज होगा,कलम भी बही होगी,
समंदर की स्याही भी कम पड़ जाएगी जब हम लग जाएंगे कागज पे बहाने को,
लिख डालेंगे मोहब्बत की इतनी आग,बहुत होगी नफरतों की बस्तियां जलाने को,,,

राजेश,,, अब तीलियां जला ली नफ़रत जलाने को,
rajeshrajak4763

Rajesh rajak

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