एक रिश्तें की कितनी शाखाएँ हैं कुछ तुम्हारे मन तक जाती हैं कुछ देह तक सिमटकर रह जातीं हैं कुछ बंधन बन जातीं हैं कुछ समाज की ही होकर रह जातीं हैं कुछ जिम्मेदारी, कुछ पहचान मात्र ये शाखें फैली हुई कभी कभी जकड़ी हुईं कहीं सूखी है इसकी जान कहीं जीवन्त हैं इसके प्राण ये शाखाएँ रिश्तों की...!! ©Kajalife.... #Ristey#शऻख से... #kajalife #Nojotowriter #22December