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झूमती लहराती जब उड़ती है खुले आसमा में। कितना सुहा

झूमती लहराती जब उड़ती है खुले आसमा में।
कितना सुहाना होता है पतंग को ये सफर
विचलित हो जाती है अचानक जब आभास होता है
मेरी डोर मेरे हाथ में नहीं
फिर मनमग्न हो लहराने लगती है
ये सोच कि
मैं सुरक्षित हूं
जिन हाथों में ये डोर है उनकी वजह से

©SHANU KI सरगम नज़रिया

#makarsakranti #nojotohindi  ज्ञानेश्वर कोकाटे Gohil Bharat Sinh Arun Raaj ARBAAZ WRITE'S. singer shailesh Tripathi
झूमती लहराती जब उड़ती है खुले आसमा में।
कितना सुहाना होता है पतंग को ये सफर
विचलित हो जाती है अचानक जब आभास होता है
मेरी डोर मेरे हाथ में नहीं
फिर मनमग्न हो लहराने लगती है
ये सोच कि
मैं सुरक्षित हूं
जिन हाथों में ये डोर है उनकी वजह से

©SHANU KI सरगम नज़रिया

#makarsakranti #nojotohindi  ज्ञानेश्वर कोकाटे Gohil Bharat Sinh Arun Raaj ARBAAZ WRITE'S. singer shailesh Tripathi