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"एक लाश" ना सर पे थी टोपी,ना माथे पे तिलक, ना भाषा

"एक लाश"
ना सर पे थी टोपी,ना माथे पे तिलक,
ना भाषा का भेद,ना जात का कलंक,
के चुप होकर करती रही वहीं इंतजार,
के कोई सुर्खी तो बनाए उसे अखबार,

ना हाथ में था कढ़ा-कलावा,ना गले में ताबीज़ थी,
ना भगवा रंग की पतलून,ना हरे रंग की कमीज थी,
के पूछती रही की अब कैसे होगा अंतिम संस्कार,
के अंत में कहीं गाड़ी में उठा के ले जाएगी सरकार,

ना इस पार पड़ी थी,ना वो उस पार थी,
ना दक्षिण मे पड़ी थी,ना वाम विचार की,
के सड़ती ही रही पड़े पड़े दबी दरकार,
के शुरू भी तो नहीं हुआ चुनाव प्रचार,

ना हुलिए से ही गरीब था,ना अमिरों से शक्ल मिलती थी,
ना खुद था चर्चित चहरा,ना किसी सितारे की गलती थी,
के इस गुनाह का फिर किसे ठहराएगें दर्शक गुनहगार?
के आम आदमी ही मरा है,खबर बनेगी कितनी बेकार ।। #deadbody #dead #noidentity #yqbaba #commonman #yqdidi #hindipoetry #death
"एक लाश"
ना सर पे थी टोपी,ना माथे पे तिलक,
ना भाषा का भेद,ना जात का कलंक,
के चुप होकर करती रही वहीं इंतजार,
के कोई सुर्खी तो बनाए उसे अखबार,

ना हाथ में था कढ़ा-कलावा,ना गले में ताबीज़ थी,
ना भगवा रंग की पतलून,ना हरे रंग की कमीज थी,
के पूछती रही की अब कैसे होगा अंतिम संस्कार,
के अंत में कहीं गाड़ी में उठा के ले जाएगी सरकार,

ना इस पार पड़ी थी,ना वो उस पार थी,
ना दक्षिण मे पड़ी थी,ना वाम विचार की,
के सड़ती ही रही पड़े पड़े दबी दरकार,
के शुरू भी तो नहीं हुआ चुनाव प्रचार,

ना हुलिए से ही गरीब था,ना अमिरों से शक्ल मिलती थी,
ना खुद था चर्चित चहरा,ना किसी सितारे की गलती थी,
के इस गुनाह का फिर किसे ठहराएगें दर्शक गुनहगार?
के आम आदमी ही मरा है,खबर बनेगी कितनी बेकार ।। #deadbody #dead #noidentity #yqbaba #commonman #yqdidi #hindipoetry #death