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सवाल, अस्मिता, हक़ीक़त.... और BHU (Read full poem i


सवाल, अस्मिता, हक़ीक़त.... और BHU
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 सवाल, अस्मिता, हक़ीक़त और बीएचयू (BHU)......

मंजर-ए-उपद्रव हुआ है यहाँ भी उनके साथ अब,
जो कह रही थीं, बख्श दो, ओ नापाक हाथ अब,
ना मान सके जो शोहदे वो, क्या मजबूरी थी उनकी,
वो गैर कोई लड़की होगी, बस बहन नहीं थी उनकी।
गईं के राहों को पुकारा, गुहार अपनों से लगाई,
मेरे देश ने तब खो दी, संवेदना की हर परछाई।

सवाल, अस्मिता, हक़ीक़त.... और BHU
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 सवाल, अस्मिता, हक़ीक़त और बीएचयू (BHU)......

मंजर-ए-उपद्रव हुआ है यहाँ भी उनके साथ अब,
जो कह रही थीं, बख्श दो, ओ नापाक हाथ अब,
ना मान सके जो शोहदे वो, क्या मजबूरी थी उनकी,
वो गैर कोई लड़की होगी, बस बहन नहीं थी उनकी।
गईं के राहों को पुकारा, गुहार अपनों से लगाई,
मेरे देश ने तब खो दी, संवेदना की हर परछाई।