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बाक़ी रातों का पता नहीं आज पल को भी पलकें ढली नहीं

बाक़ी रातों का पता नहीं
आज पल को भी पलकें ढली नहीं
कितने दिन डूबे आँखों में
ये साँझ कि अब तक ढली नहीं
जाने कैसा ये सूरज है
ठिठका बैठा है आँखों में
क़ैद बड़ी मुश्किल ज़ानिब!
इन जलती हुई सलाखों में...
तुम ख़्वाबों में भी मत आना
इन सुलगती हुई सहराओं में
 #coinciding
बाक़ी रातों का पता नहीं
आज पल को भी पलकें ढली नहीं
कितने दिन डूबे आँखों में
ये साँझ कि अब तक ढली नहीं
जाने कैसा ये सूरज है
ठिठका बैठा है आँखों में
क़ैद बड़ी मुश्किल ज़ानिब!
इन जलती हुई सलाखों में...
तुम ख़्वाबों में भी मत आना
इन सुलगती हुई सहराओं में
 #coinciding