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जरूरत इन्हें है रोज़गार की प्यार की है और बाज़ार क

 
जरूरत इन्हें है रोज़गार की
प्यार की है और बाज़ार की
काम की ओ आराम की
तालीम भी हिंदुस्तान की
कायदों में बदलाव की
ठंड में गर्म अलाव की
बुर्कों में छुपी सियासत है
बनावटी ये बग़ावत है
बहन बेटी या माशूका ही
न तुझसे कोई अदावत है
पहचान कि कोई है यहीं
झूठी कोई सियासत है
.
धीर

     सियासत
 
जरूरत इन्हें है रोज़गार की
प्यार की है और बाज़ार की
काम की ओ आराम की
तालीम भी हिंदुस्तान की
कायदों में बदलाव की
ठंड में गर्म अलाव की
बुर्कों में छुपी सियासत है
बनावटी ये बग़ावत है
बहन बेटी या माशूका ही
न तुझसे कोई अदावत है
पहचान कि कोई है यहीं
झूठी कोई सियासत है
.
धीर

     सियासत