श्यामा प्यारी राधे रानी, जुमे संग वो गोपिया पियारी, संग है रुक्षमणिजी पियारे, क्या कहत अब हम सारे? कानाफूसी हो रही है, सदैव वो बंसी संग रहती, हम तो लड़ रहे पगलाये, जो कान्हा की माला जपे जाये, वो रहती हर पल संग कान्हा, और मधुर धून से ब्रजभूमि को हरखाये| प्यारी सी वो राधे रानी, देखे है गोपियाँ सारी, रुक्षमणि मन जलत है जाये, पर कोई कुछ बोल ही ना पाये, बासुरी वो कान्हा की जो, खड़ी खड़ी है मुस्कुराये, ना कान्हा संग प्रीत उसको, ना ही सब संग बेर| बोली बासुरी हसते मुस्कुराते, आप सब गिरिधर प्यारी, में तो बस हु धून सी कहानी, प्रीत नहीं कान्हा संग मोहे, निश्चित रहिये सब कान्हा दुलारी| रहती हु कन्ह संग, क्यों की मेरी धून से आप सब नाच जुम जाये | प्यारी सी बासुरी, मीठी उसकी बाते, मुस्कुरायी श्यामा प्यारीसी सब, मुरली को मनोहर बताये | मुरली को मनोहर बताये..