पतजड़ वो हमे याद करते है आंखे गंगा बन जाने के बाद.................... वो हमसे बात करते है हजारों मिन्नते करने के बाद...................... तुम्हारे बिना क्या जीना, क्या मरना क्या खाना , क्या पीना, क्या हंसना वो हमे यो छोड़कर चले गए अब आएंगे सावन के ज्यू मेरे जीवन में पतजड़ के बाद ............ चलो रहने भी दो, हमदर्दी हम तुम्हे याद आते है सब याद आने के बाद....... बेदर्द इश्क 1 @ शिवराज खटीक पतज ड #बेदर्द इश्क