शून्य ही यथार्थ था, शून्य ही कयास था शून्य ही था घट रहा, शून्य इतिहास था शून्य कन कन में था, शून्य ही मिट गया शून्य राजा बना और शून्य ही दास था शून्य आंसू के धब्बे, शून्य ही मुस्कान थी शून्य आभास था, शून्य ही विश्वास था शून्य थी दौलतें और शून्य ये शब्दावली शून्य निवास था, शून्य ही वनवास था शून्य था ये प्रेम सब शून्य में जो घट गया शून्य ही बस दूर था, शून्य ही पास था शून्य मरघट पे था, शून्य ही था कोख में शून्य ही मिल गया, शून्य ही तलाश था शून्य अभिमान था, शून्य ये निर्माण था शून्य था बन गया, शून्य ही विनाश था शून्य था चुभ गया, शून्य ही था मखमली शून्य पतझड़ सारा, शून्य ही पलाश था शून्य था जो सुन सका, शून्य था अनसुना शून्य अंधा हर पल, शून्य ही प्रकाश था शून्य दिल की धड़कने, शून्य भागती नसें शून्य था खुश खड़ा, शून्य ही निराश था #शून्य #shoonya #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #hindiquotes शून्य ही यथार्थ था, शून्य ही कयास था शून्य ही था घट रहा, शून्य इतिहास था शून्य कन कन में था, शून्य ही मिट गया शून्य राजा बना और शून्य ही दास था