लेकर दीपक हाथो में हम अन्धकार मिटाने निकले थे, प्रेम सजा कर् टूटे ह्र्दय का हम संसार बनाने निकले थे । होकर मुरीद हम शाहिल के सागर तक जाना भूल गये, पागल थे हम प्रेम् की राहों में फ़ितरत इंसानी भूल गये । @$रोहित सैनी$..... #love end