क्यूँ दूर हूँ तुमसे मैं अब, क्या तुमको इतना पता नहीं। मासूम इतना बनते हो, जैसे तुम्हारी कोई ख़ता नहीं। नासमझी से अपनी तूने, दिल को बहुत दुखाया है। करके सितम मुझ पर तूने, मुझको बहुत सताया है। दिल का बुरा हाल है मेरा, इस जैसी कोई सज़ा नहीं। मासूम इतना बनते हो, जैसे तुम्हारी कोई ख़ता नहीं। आँसुओं के सैलाब से, दिल मेरा अब भर सा गया। इस दर्द-ए-बेहिसाब से, दिल मेरा अब मर सा गया। हमारे बीच की इस दूरी में, क्या तेरी कोई रज़ा नहीं। मासूम इतना बनते हो, जैसे तुम्हारी कोई ख़ता नहीं। ♥️ Challenge-719 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।