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बोहत दौड़ा रही है ज़िंदगी अगर मंज़िल को पाना है तो

बोहत दौड़ा रही है ज़िंदगी
अगर मंज़िल को पाना है तो
संघर्ष तो करना पड़ेगा तू रुक नही सकता 
 कामियाबी की रोशनी युही नही मिलती .

©Shayari by Sanjay T
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