पग-पग अपनी भाषा बदले, बदले अपना भेष। नहीं धरा पर है कोई दूसरा, जैसा अपना देश॥१॥ कहीं ईशा तो कहीं खुदा है, कहीं बसे श्रीराम। सबकी एक हीं भावना, सबका एक हीं पैग़ाम॥ बसे दिल में सद्भावना, और मिटे मन से क़लेश। नहीं धरा पर है कोई दूसरा, जैसा अपना देश॥२॥ कहीं गुरुबानी मन मोहता, तो कहीं कीर्तन-गान। कहीं क़ैरल मनभावन, तो कहीं शाम-ए-अज़ान॥ अलग भले तहज़ीबें सबकी, पर है एक हीं संदेश। नहीं धरा पर है कोई दूसरा, जैसा अपना देश॥३॥ @raj_sri #काव्यसरिता #rasi #देश #भारत #अपना_देश