अक़्सर ख़ाली जगह भरने को कुछ शब्द होते हैं, लेकिन... कभी कभी शब्द ढूंढने पर भी नहीं मिलते, और वो जगह ख़ाली रह जाती है... ज़िन्दगी बिन तेरे कुछ ऐसी ही है...