मेरे कपड़ों को देख कर क्यों हँसती तेरी ये सोच है तेरी अब ये सोच खुद तुझ पर बन रही बोझ है लगता कभी गिरा तू और लगी तेरे सिर पर चोट है तभी दिमाग़ तेरा सिकुड़ गया और आ गयी उसमें खोट है सोच की खोट या खोट की सोच