प्रेम ना जाने किन क्षण में जीवन में उतर जाता है| प्रेम पाने के लिए नारायण नर बन जाता है| प्रेम मन की गाठों को बंदन मुक्त कर जाता है | प्रेम रक्त के रूप में जिस्म के रंग-रंग में बहकर! जीवन रूपी नदी को ऊर्जा से भर जाता है | प्रेम में हजारों क्षण भी पल-छिन जैसा बन जाता है| प्रेम उन्मुक्त गगन में विचरण करने के लिए पंख बन जाता है| -Pradeep Thakur #Prem -----kya khoob likha hai