इनसे गलती नही इनकी हवश बेनकाब हो गयी भारत के ऐसे सविदान को देख निर्भया की आत्मा जलकर फिर से खाक हो गयी इन्साफ की तो बात ही क्या करूँ तीन चार दिन केंन्डल मार्च चार पाँच सालो से एक माँ पूरे देश मे सिर्फ मजाक हो रही सविदान को अलग रख कर इन्हें बस फाशी दो फन्दे की रस्सियां इन्हें लटकाने के लिये बेताप हो रही रोज क्यो बड रही तारीके लगता है वकील साप की बेटी अभी घर पे सही सलांमत सो रही