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जो जेठ दुपहरी में तपकर भी संयम की छाँव में सोता है

जो जेठ दुपहरी में तपकर भी संयम की छाँव में सोता है,
पौष की जो ठिठुरन में भी धीरज को कभी न खोता है।
जिसनें किया शर्मसार देश को वो कोई गद्‌दार रहा होगा,
कोई भी हो सकता है पर वह "किसान" नहीं रहा होगा। #स्वरचित © #शून्य 
#किसान_आन्दोलन
 #किसान #किसान_रैली 
#गद्दार 
#संयम #धीरज
जो जेठ दुपहरी में तपकर भी संयम की छाँव में सोता है,
पौष की जो ठिठुरन में भी धीरज को कभी न खोता है।
जिसनें किया शर्मसार देश को वो कोई गद्‌दार रहा होगा,
कोई भी हो सकता है पर वह "किसान" नहीं रहा होगा। #स्वरचित © #शून्य 
#किसान_आन्दोलन
 #किसान #किसान_रैली 
#गद्दार 
#संयम #धीरज