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जिन राहों के खातिर तुम हो रुके यहां पर उन राहों प

जिन राहों के खातिर तुम हो रुके यहां पर 
उन राहों पर आगे क्या तुम जा पाओगे
हम तुमको चाहे खुशियाँ या नफरत दें
तुम चाहोगे फिर भी कुछ ना दे पाओगे...  !!   हम सपन सी इक कला के स्वप्न के भी पार ठहरे
मेरे स्वर या कल्पना पर दूर सब अधिकार ठहरे
हर विसंगति बांह में लेकर नया अनुराग आई.. , 
और बोली तुम प्रणय की राह पर बेकार ठहरे... !!
जिन राहों के खातिर तुम हो रुके यहां पर 
उन राहों पर आगे क्या तुम जा पाओगे
हम तुमको चाहे खुशियाँ या नफरत दें
तुम चाहोगे फिर भी कुछ ना दे पाओगे...  !!   हम सपन सी इक कला के स्वप्न के भी पार ठहरे
मेरे स्वर या कल्पना पर दूर सब अधिकार ठहरे
हर विसंगति बांह में लेकर नया अनुराग आई.. , 
और बोली तुम प्रणय की राह पर बेकार ठहरे... !!
saurabhmishra6084

saurabh

New Creator

हम सपन सी इक कला के स्वप्न के भी पार ठहरे मेरे स्वर या कल्पना पर दूर सब अधिकार ठहरे हर विसंगति बांह में लेकर नया अनुराग आई.. , और बोली तुम प्रणय की राह पर बेकार ठहरे... !!