कविता - कलियुग में भ्रष्टाचार का व्यापक विस्तारा 👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 कलियुग में भ्रष्टाचार का व्यापक विस्तारा । त्रस्त है इससे जग सारा।। सब पाना चाहें छुटकारा। मगर कहीं आड़ा आये स्वार्थ, कहीं फंसता दिखे कोई अपना प्यारा।। जिसने भी इसको ललकारा, उस पर लग गयी राजकाज में बाधा की धारा। पड़ गया अकेला बेचारा, फिरता कोर्ट-कचहरी मारा-मारा।। चला था जो मिटाने भ्रष्टाचार, हो गया सिस्टम के आगे लाचार। वकीलों की फीस चुकाने को बेचना पड़ रहा अब आचार।। स्वरचित @सूरज शर्मा ‘मास्टर जी ग्राम-बिहारीपुरा, जिला-जयपुर, राजस्थान 303702 ©Suraj Sharma #भ्रष्टाचार #रिश्वत #मेरेविचार #मेरीकविता #सूरजशर्मामास्टरजी #Dark