प्रभातबेला का सुंदर आवरण चहुँओर महकती हवाएँ, शुद्ध करती अंतर्मन सुमन कुसुम की महकती फिजायें, सुरो के सरगम छेड़ जाती,जब वो क़रीब से गुजर जाये, एहसास का इत्र छिड़कती,निगाहें उठा मूर्छित कर जाए। 🌝प्रतियोगिता- 13🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"महकती हवाएँ" 🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I