ऐ चाँद थोड़ी चाँदनी की इनायत कर, कई छाले मैंने भी सजा कर रखे हैं, बेजान बदन तड़पाने को, रूह का दर्द छिपाने को। ....दर्द😥 मेरी😓 जान का😪... पीड़ा मेरी प्रेमिका के प्रेम की।