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हर तरफ़ छाई हुई ये तीरगी है ज़िंदगी आख़िर कहाँ पे रौश

हर तरफ़ छाई हुई ये तीरगी है
ज़िंदगी आख़िर कहाँ पे रौशनी है

पास सबकुछ है मिरे बस तुम नहीं हो
क्या बतायें पास मेरे क्या कमी है

किस तरह आख़िर गुज़ारा हो मिरा अब
पास मेरे उसकी फ़ोटो भी नहीं है

राह में पत्थर हुआ तो क्या हुआ जब
चल रहे हैं और चलना ज़िन्दगी है

हम इधर शबभर तड़प कर जागते हैं
आँखें दो शबभर उधर भी जागती है

हम समंदर के भरोसे ही रहे तो
किश्तियाँ अक्सर हमारी डूबती है

©Prabhakar Prabhu #Trending #Nozoto #Poet #Poetry #Shayar #Shayari #writer #today #Heart 

#moonlight  माधुरी"मुस्कान"शर्मा Rahul Jangir  Suman Zaniyan Rajesh Kumar Er. Lucky Nishad
हर तरफ़ छाई हुई ये तीरगी है
ज़िंदगी आख़िर कहाँ पे रौशनी है

पास सबकुछ है मिरे बस तुम नहीं हो
क्या बतायें पास मेरे क्या कमी है

किस तरह आख़िर गुज़ारा हो मिरा अब
पास मेरे उसकी फ़ोटो भी नहीं है

राह में पत्थर हुआ तो क्या हुआ जब
चल रहे हैं और चलना ज़िन्दगी है

हम इधर शबभर तड़प कर जागते हैं
आँखें दो शबभर उधर भी जागती है

हम समंदर के भरोसे ही रहे तो
किश्तियाँ अक्सर हमारी डूबती है

©Prabhakar Prabhu #Trending #Nozoto #Poet #Poetry #Shayar #Shayari #writer #today #Heart 

#moonlight  माधुरी"मुस्कान"शर्मा Rahul Jangir  Suman Zaniyan Rajesh Kumar Er. Lucky Nishad